एमपी नाउ डेस्क
Satyajit Ray's Third Eye: हाल में सोशल मीडिया में विशाल मेगा मार्ट द्वारा अपने आउटलेट में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरियों के लिए निकाला गया विज्ञापन जमकर चर्चा बटोर रहा है। चुंकि मार्ट के विज्ञापन में जो नौकरी के लिए आवश्यक अर्हता दी गई है, वह अपने आप में सोचनीय है।
एक सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी के लिए करंट अफेयर इंग्लिश और लोकल लैंग्वेज से जुड़े कई सवाल पूछे। इसके अलावा पुराने सिक्योरिटी कार्ड के अनुभव और मेडिकल चेकअप जैसी अहर्ताओं को पूर्ण करने के बाद किसी व्यक्ति का चयन किया जाना यह बताता है कि वर्तमान में लोगों की नजर में जंग लग गया है।
जी हां! जंग ही लगा हुआ है क्योंकि पहले सत्यजीत रे जैसे लोग भी थे, जो सिर्फ़ एक नज़र में लोगों को देखकर उनकी प्रतिभा को पहचान लेते थे। सत्यजीत रे भारत सहित विश्वभर में किसी पहचान के मोहताज नहीं है उन्होंने अपने कैरियर में 36 फिल्मों का निर्माण किया था। इन 36 फिल्मों में से 32 फिल्मों को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। यह उनकी फिल्मों को लेकर समझ उनके फिल्मों के लेकर दृष्टिकोण की स्पष्टता को दर्शाती है। जितनी अधिक सत्यजीत को फिल्मों की समझ थी उतनी ही समझ उनको लोगों की प्रतिभा को समझने की भी थी, वह सिर्फ़ लोगों को देखकर उनके अंदर की प्रतिभा का अनुमान लगा लेते थे। इसलिए उनकी तीसरी आंख हमेशा ही चर्चा में बनी रही।
सत्यजीत राय की तीसरी आंख के संदर्भ में मशहूर पटकथा लेखक जावेद सिद्धकी ने एक साक्षात्कार के दौरान बताया कि "सत्यजीत रे की तीसरी आंख का नमूना मैं खुद हूं" उन्होंने उस किस्से को याद करते हुए बताया कि कैसे उन्हें देखते ही सत्यजीत रे ने सिर्फ अंग्रेजी के कुछ लफ्ज़ बोलकर उन्हें सत्यजीत रे की एकमात्र हिंदी फिल्म के लिए डायलॉग राइटर के तौर में नियुक्त कर लिया।
दरअसल सत्यजीत रे बांग्ला और अंग्रेजी भाषा ही जानते थे, ऐसे में उनकी फिल्मों की भाषा इन्हीं भाषाओं में होती थी। लेकिन 1977 में सत्यजीत रे ने अपने कैरियर की एकमात्र हिंदी फिल्म बनाने की ठानी।
1977 में मुंशी प्रेमचंद की कहानी "शतरंज के खिलाड़ी" को फ़िल्म के रूप में रूपांतरित किया लेकिन इस फिल्म के लिए उन्हें हिंदी भाषा में लिखने वाले लेखक की आवश्यकता पड़ी, ऐसे में उन्होंने उस समय में शमा जैदी जो कि उनकी फिल्मों में वस्त्र सज्जा (कॉस्ट्यूम) का काम देखती थी के सुझाव में जावेद सिद्धकी से मिले।
जावेद को उस समय तक फिल्मी दुनिया में कोई नहीं जानता था क्योंकि वह एक पत्रकार थे। लेकिन जब सत्यजीत रे उनसे मिले तो उन्होंने सिर्फ उन्हें देखा और अपनी फ़िल्म शतरंज के खिलाड़ी में बतौर डायलॉग राइटर नियुक्त कर लिया।
जावेद सिद्धकी जो आज एक महान पटकथा लेखक के रूप में जानें जाते है वह सत्यजीत राय के साथ और उनकी फिल्मों की दुनिया में कदम रखने की पहली फिल्म थी।
उन्होंने उस वक्त का किस्सा साझा करते हुए कहा कि जब वह सत्यजीत राय से बॉम्बे में मिले तो उन्होंने उनसे पूछा कि मैने सुना है तुम बहुत अच्छे शॉर्ट स्टोरी राइटर हो जिसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कोई आदमी खुद अपने फन को जज कैसे कर सकता है, आप चाहे मैं अपनी कुछ कहानी को इंग्लिश में तर्जुमा करके दे सकता हूं आप फिर उसे देख सकते है।
इसके जवाब में सत्यजीत रे ने इंग्लिश के चंद लफ़्ज़ बोलते हुए कहा
" यंग मैन आई कैन सी यू इट्स इनफ एंड यू आर राइटिंग द डायलॉग फॉर माय नेक्स्ट फिल्म"
ऐसा ही एक और किस्सा शतरंज के खिलाड़ी मूवी के सेकंड लीड एक्टर सईद जाफरी को लेकर भी है। सईद जाफरी को शतरंज के खिलाड़ी में अभिनेता के रूप में चयन एक एयरपोर्ट में अचानक मुलाकात के दौरान ही हो गया। दअरसल हुआ कुछ ऐसा कि एयरपोर्ट में सत्यजीत रे अपनी फ्लाइट का इंतजार कर रहे होते है, उसी एयरपोर्ट से किसी फ्लाइट से सईद जाफरी भी कही जानें वाले थे। जब उन्होंने सत्यजीत को देखा तो दुआ सलाम करने सत्यजीत रे के पास पहुंच गए। दुआ सलाम और दो चार बातें हुई हो जब सईद जाफरी ने उनसे जानें की अनुमति मांगी तो उन्होंने छूटते ही सईद जाफरी से पूछा मेरी फिल्म में काम करोंगे।
सईद जाफरी को उस फिल्म से पहले हिंदुस्तान में जाना नहीं जाता था, हालांकि उन्होंने बीबीसी के लिए कुछ एक दो रेडियो में काम किया था। एक ऐसे व्यक्ति को जिसका काम हिंदी में उन्होंने कभी देखा नहीं, न ज्यादा कोई जान पहचान लेकिन ऐसे ही एयरपोर्ट में अपनी महत्वपूर्ण फिल्म में सेकंड लीड रोल का ऑफर देना उनकी तीसरी आंखों का ही प्रमाण है। जहां आज एक सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी के लिए भी तरह तरह के मानक तय किए जा रहें है, वह सत्यजीत राय जैसा एक इंसान भी था, जो सिर्फ़ आंखों से देखकर लोगों का हुनर पहचान लेता था।
सत्यजीत राय भले आज इस दुनिया से रुखसत हो गए हो लेकिन उनके द्वारा देखी गई दुनिया उनका भरपूर रचनात्मक संसार हम उनकी फिल्मों में देख सकते है। जिसमें उनकी वही तीसरी आंख का प्रमाण देखने को मिलेगा। सत्यजीत राय का सिनेमा हो या उनका व्यक्तिव आने वाली पीढ़ियों के लिए अनमोल खजाना है।
अरविंद साहू (AD) Freelance मनोरंजन एंटरटेनमेंट Content Writer हैं जो विभिन्न अखबारों पत्र पत्रिकाओं वेबसाइट के लिए लिखते है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी सक्रिय है, फिल्मी कलाकारों से फिल्मों की बात करते है। एशिया के पहले पत्रकारिता विश्वविद्यालय माखन लाल चतुर्वेदी के भोपाल कैम्पस के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के छात्र है।
0 टिप्पणियाँ